Monday, July 26, 2021

कोई उम्मीद बर नहीं आती ! कोई सूरत नज़र नहीं आती !! -मिर्ज़ा ग़ालिब

 कोई उम्मीद बर नहीं आती !
कोई सूरत नज़र नहीं आती !!

मौत का एक दिन मुअय्यन है !
नींद क्यों रात भर नहीं आती !!

आगे आती थी हाल-ए-दिल पर हसी !
अब किसी बात पर नहीं आती !!

जानता हूँ सवाब-ए-ताअत-ओ-ज़ोहद !
पर तबियत इधर नहीं आती !!

है कुछ ऐसी ही बात जो चुप हूँ !
वरना क्या बात कर नहीं आती ?

क्यों न चीखू कि याद करते है !
मेरी आवाज़ गर नहीं आती !!

दाग़-ए-दिल गर नज़र नहीं आता !
बू भी ऐ चारागर नहीं आती !!

हम वहा है जहाँ से हमको भी !
कुछ हमारी खबर नहीं आती !!

मरते है आरजू में मरने की !
मौत आती है पर नहीं आती !!

काबा किस मुँह से जाओगे ग़ालिब !
शर्म तुमको मगर नहीं आती ! - मिर्ज़ा ग़ालिब

मायने
मुअय्यन = नियत, सवाब-ए-ताअत-ओ-ज़ोहद = संयम तथा उपासना, चारागर = चिकित्सक

No comments:

Post a Comment

Featured Post

प्रेरणादायक अनमोल वचन

जब आप कुछ गँवा बैठते है ,तो उससे प्राप्त शिक्षा को ना गवाएं बल्कि उसके द्वारा प्राप्त शिक्षा का भविष्य में इस्तेमाल करें | – दलाई लामा ज...